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Monday 18 July 2022

Print midiya

 प्रिंट मीडिया (Print Media)

प्रिंट मीडिया का इतिहास (History of Print Media in Hindi)। प्रिंट मीडिया कई भाषाओँ में हैं और केवल समाचार-पत्र तक ही सिमित ना हो कर यह बहुत सारे पत्रों में हैं। स्वतंत्रता आन्दोलन में नामचीन सेनानियों की बातो को जनता तक पहुँचाने में अख़बार का अहम् रोल हैं (प्रिंट मीडिया)। उस समय मात्र समाचार-पत्र ही जनता तक अपनी बात रखने का सबसे बेहतर माध्यम था। यही कारण हैं की प्रिंट मीडिया का अतीत शानदार रहा हैं। वर्तमान में भी प्रिंट मीडिया अपना दायित्व बखूबी निभा रहा हैं। समय के साथ इसमें भी बदलाव आया हैं।

आज भी प्रिंट मीडिया सरल, सुलभ और सस्ता हैं। लिसके कारन आम लोगों की पहली पसंद हैं। हर जगह प्रिंट मीडिया प्रभावी भूमिका निर्वहन कर रहा हैं। प्रिंट मीडिया लोगो पर गहरा प्रभाव डालता हैं। प्रिंट मीडिया की पहुच अधिक लोगो तक हैं। इसी कारन पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिणी तक प्रिंट मीडिया छाया हुआ हैं। इसमें प्रकाशित ख़बरें अमित होती हैं।

प्रिंट मीडिया या समाचार-पत्र का इतिहास (History of Print Media in Hindi)

जब हम बात करते हैं प्रिंट मीडिया की तो उसमें समाचार-पत्र, पत्रिकाएं आदि सम्मिलित हो जाते हैं।

भारत में प्रिंट मीडिया या समाचार-पत्रों का इतिहास –

प्रिंट मीडिया का इतिहास युरोपियें लोगो के आने के साथ ही शुरू होता हैं।

1684 में सर्वप्रथम भारत में प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना ईस्ट इंडिया कंपनी ने किया।

बंगाल गजट भारत में प्रकाशित होने वाला एक अंग्रेजी भाषा का पहला समाचार-पत्र था।

इसके प्रकाशक जेम्स आगस्टक हिक्की थे।

यह एक साप्ताहिक पत्र था जो कोलकत्ता से सन 1780 में आरम्भ हुआ।

हिक्की गजट के प्रकाशन का एक कारण बाजार के लिए सूचनाएं उपलब्ध करना था।

1782 में इसका प्रकाशन बंद हो गया था।

जेम्स हिक्की को भारतीय पत्रकारिता का पितामह माना जाता हैं।

उदन्त मार्तण्ड के नाम से प्रकाशित समाचार-पत्र हिंदी भाषा में छपने वाला भारत का पहला समाचार-पत्र था।

उदन्त मार्तण्ड के प्रकाशक जुगलकिशोर सुकुल थे।

30 मई 1826 में उदन्त मार्तण्ड की शुरुआत कोलकत्ता से हुआ।

यह एक साप्ताहिक पत्र था जो हर मंगलवार को प्रकाशित होता था।

4 दिसम्बर 1827 को यह पत्र बंद हो गया था।

उस समय अंग्रेजी, फारसी और बंगला में तो अनेको समाचार-पत्र छपते थे लेकिन होंदी में यह पहला पत्र था।

उन दिनों सरकारी सहायता के बिना किसी भी पत्र का चलना प्राय: असम्भव था।

सरकार ने मिशनरियों के पत्र को तो डाक की सुविधा दे रखी थी लेकिन उदन्त मार्तंड पत्र को यह सुविधा नहीं मिला।

जिसकी वजह से यह सन 1827 में इसका प्रकाशन बंद हो गया।

उदन्त मार्तंड हिंदी समाचार पत्र के लिए ही हिंदी पत्रकारिता दिवश मनाया जाता हैं।

30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवश मनाया जाता हैं।

इस पत्र को प्रकाशित हुए 189 साल हो गया।


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